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उच्च स्तरीय प्रदर्शन करने बाले डा० सुब्रत कुमार शाह, कमांडिंग ऑफिसर तथा 39 बटालियन सीमा सुरक्षा बल का कार्यकाल पूरा होने पर बंगाल से स्थानांतरण



मुर्शिदाबाद जिले में तैनात बीएसएफ़ की 39वी बटालियन का स्थानांतरण हो गया है, अब इसकी जगह बीएसएफ़ की 86वी बटालियन ने लिया है जो कि जवाहर नगर अम्बासा जिला आहलाई ,त्रिपुरा में तैनात थी।


39वीँ बटालियन सीमा सुरक्षा बल का नारा इरादे मजलिस हम उनतालिस है, जिस पर वो बिल्कुल सही उतरे। मुर्शिदाबाद जिले में 39वी बटालियन के इलाके में पिछले लगभग 6 वर्षों से तस्करी का कोई मामला सामने नही आया इसकी वजह है बीएसएफ के बहादुर कमांडिंग ऑफिसर डॉ सुब्रत कुमार शाह और उनके बहादुर व जांबाज जवान। बांग्लादेश की सीमा से लगा बंगाल का यह जिला मुर्शिदाबाद मवेशियों, फेंसेडिल, जाली नोट व अन्य प्रतिबंधित सामानों की तश्करी के लिए कुख्यात था। इस इलाके में गंगा नदी बहती है जो कुछ दूरी तक भारत -बांग्लादेश के बीच अंतराष्ट्रीय सीमा भी बनाती है। जिसका फायदा उठाकर तस्कर मवेशियों की तस्करी को अंजाम देते थे।

ड्यूटी करने के लिहाज से ये इलाका बहुत दुर्गम है। आस पास घना जंगल जो तस्करों को छुपाने व उनको पेंठ बनाने में बहुत मददगार साबित होता है। यह तस्करी के लिए गढ़ माना जाता था। इस इलाके में तस्कर अपना पूरा नेटवर्क बनाए हुए थे। तस्करो का नेटवर्क इतना मजबूत था जिसे तोड़ पाना मुश्किल साबित हो रहा था। लेकिन 39वी बटालियन के आने के तस्करो का  साम्राज्य बिल्कुल खत्म हो गया।

सितंबर 2015 में 39वी बटालियन के आने के बाद इस बटालियन के बहादुर कमांडिंग  ऑफिसर डॉ सुब्रत कुमार शाह

 व उनके बहादुर जवानों ने शुरू से ही  तस्करी के खिलाफ एक जंग छेड़ दी थी जिसके परिणाम यह हुआ कि तस्करो ने तस्करी छोड़ खेती बाड़ी करने लगे।


 *अभूतपूर्व पर्वितन की मिशाल हैं कमांडेंट डॉ सुब्रत कुमार शाह 


39 वी बटालियन मुर्शिदाबाद जिले के इस इलाके में 5 वर्ष 8 महीने अपनी उत्कृष्ट सेवा देकर गयी है ये किसी भी लिहाज़ से एक बड़ा समय होता है खासकर साउथ बंगाल फ्रंटियर में माना जाता रहा है कि  बीएसएफ की सभी बटालियन के लिए साउथ बंगाल फ्रंटियर एक चुनौती भरा रहता है जहाँ एक बटालियन मुश्किल से 3 वर्ष तक ही रह पाती है लेकिन 39वी बटालियन का इतने लंबे समय तक टिके रहने कमांडिंग ऑफिसर की ईमानदार व लगनशीलता को दर्शाता है। डॉ सुब्रत कुमार शाह

 बहुत ही सभ्य और सुशील नेतृत्व वाले ऑफिसर में से एक हैं कुछ अधिकारियों का तो यहां तक भी मानना है कि डॉ० सुब्रत कुमार शाह बटालियन के जवानों को अपने बच्चों की तरह मानते थे। एक अलग और अनूठे व्यक्तित्व वाले डॉ० सुब्रत कुमार शाह के नेत्रत्व में इस बटालियन के आने ही इस इलाके में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है और इस क्षेत्र का भविष्य उज्ज्वल हुआ है मुर्शिदाबाद के इस क्षेत्र में जहां यह बटालियन तैनात हुई थी अब हर प्रकार की तस्करी व गैरकानूनी गतिविधियों पर पूरी तरह अंकुश लग गया है।इस बटालियन की कमान संभालते ही डॉ सुब्रत कुमार शाह ने तस्करी व अन्य गैरकानूनी गतिविधियों को खत्म करने की मुहिम छेड़ दी थी। जिन इलाको में तस्करी होती थी उन इलाकों दिन रात पेट्रोलिंग बढ़ाने तथा संवेदनशील इलाकों में जवानों की तैनाती  में सुधार कर तस्करी को शून्य कर दिखाया।


बंगाल माटी के सपूत

कमांडेंट डॉ सुब्रत कुमार शाह, बारासात, जिला 24 परगना नार्थ के निवासी हैं, इनकी पढ़ाई लिखाई कोलकाता से हुई।बंगाली होने के नाते इन्होंने बार्डर पर स्थानीय लोगों से बहुत शानदार समन्वय स्थापित किया, डॉक्टर साहा अकसर स्थानीय युवाओं को अच्छी पढ़ाई लिखाई करने, नौकरी प्राप्त करने तथा अच्छे कार्यों को करने के प्रति जागरूक तथा प्रेरणा देते रहते थे, जिसके कारण वो बॉर्डर पर स्थानीय लोगों में बहुत लोकप्रिय थे।जिसकी इनको कारगर और प्रभावी सीमा प्रबन्धन करने में बहुत मदद्  मिली।


मानवाधिकार आयोग का एक भी मामला  नहीं आया सामने । 


बीएसएफ का मानना है कि डयूटी की प्रकृति के अनुसार अक्सर साउथ बंगाल फ्रंटियर जैसे जगहों पर ड्यूटी को अंजाम देना इतना आसान नही होता जहां जबरन भारी तादात में तस्करी के प्रयास किए जाते है। मानवाधिकार आयोग भी इधर बहुत ही सतर्क रहता है ।ऐसे जगह पर इस बटालियन का कोई भी मानवाधिकार मामला सामने नही आया ।


39 बटालियन ने अपने कार्यकाल में 98 लाख का सामान किया जब्त तथा 44 तस्कर भी पकड़े 


आंकड़े बताते हैं कि इस इलाके में बटालियन की तैनाती से अब तक     कुल 215 मवेशियों सहित 54662 फेंसेडिल की बोतल व 666 किलो गांजा जब्त किया गया है इस के अलावा लगभग 98 लाख के अन्य प्रतिबंधित सामान भी पकड़े गए है।इसके अलावा इस इलाके से 44 तस्करो को भी पकड़ा गया है।


 कोरोना काल में भी की स्थनीय लोगों की मदद।


भारत मे जब कोरोना की महामारी आयी तो इस महामारी से बंगाल भी अछूता नही रहा।सीमावर्ती इलाके में इस महामारी से सैकड़ों लोगो पर प्रभाव पड़ा।सैकड़ो लोगो का जहाँ रोजगार  छूट गया ऐसे में कमान्डेंट डॉ सुब्रत कुमार ने न सिर्फ मेडिकल सुविधा मुहैया कराई अपितु सीमावर्ती इलाके में गरीबों के लिए राशन भी मुहैया कराया तथा अपनी बटालियन के अधिकारियो तथा जवानों के जरिये सीमावर्ती इलाके में कोरोना से लड़ने के लिए जागरूक 


दक्षिण बंगाल फ्रंटियर अपने इलाके में हमेशा ईमानदार और पेशेवर  अधिकारियो की नियुक्ति पर रखता है जोर


दक्षिण बंगाल फ्रंटियर ने 39 बटालियन की जगह लेने वाली 86 बटालियन के कमांडिंग ऑफिसर के पदभार ग्रहण करने पर शुभकामनाएं दी और बयान में बताया की मुख्यालय हमेशा अपने इलाके की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए बीएसएफ के पेशेवर  एवं जाबाज़ अधिकारियो की नियुक्ति उनके सेवाकाल में उत्कृष्ट उपलब्धियों को ध्यान में रखकर कर रहा है। लगातार जाबाज़ अधिकारी उनके इलाके में नियुक्त किए जा रहे है। इन अधिकारियो की नियुक्ति से मुख्यालय को और भी मजबूती मिलेगी। जाबाज़ अधिकारी डा० सुब्रत कुमार शाह उनमें से ही एक थे जिन्होंने अपनी सूझबूझ और अनूठे व्यक्तित्व की वजह से सीमा सुरक्षा बल का नाम रोशन किया है। इनके  इलाके में  86वी बटालियन के कमांडेंट श्री सुरेन्द्र कुमार जिन्होने कार्यभार संभाला है, उनको महानिरीक्षक श्री अश्विनी कुमार सिंह के अपनी बटालियन को अच्छा नेतृत्व तथा सफलता पूर्वक काम करने के लिये शुभकामनायें दी।

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